महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का सफल आयोजन

Mon 09-Sep-2024,10:23 PM IST +05:30

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महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का सफल आयोजन
  • वाचन और लेखन से आत्मबल बढ़ता है- डॉ. शीतला प्रसाद दुबे

  • डॉ. दुबे ने कहा कि युवा साहित्यकारों का मनोबल बढ़ाने और राष्ट्रीय साहित्य की रचना हेतु प्रेरित करने की दिशा में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी हमेशा अग्रणी रहती आई है।

  • कवि सम्मेलन में साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य डॉ. दिनेश प्रताप सिंह और डॉ. प्रमोद शुक्ल भी उपस्थित थे।

  • कवि सम्मेलन की अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री ऋषि कुमार मिश्र ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि कविता केवल मनोरंजन के लिए नहीं होती, अपितु यह समाज की अनेक मान्यताओं का भंजन भी करती है।

     

Maharashtra / Mumbai :

मुंबई, 9 सितम्बर। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने कहा है कि समाज को सही मार्ग दिखाने में साहित्य की प्रमुख भूमिका होती है। इसलिए पढ़ने और लिखने में युवा पीढ़ी की रुचि जगाने की आज महती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं के भीतर आत्मबल बढ़ता है।

उपरोक्त विचार डॉ. दुबे ने नासिक में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का उद्घाटन करने के अवसर पर व्यक्त किये। इस अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का सफल आयोजन महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में अखिल भारतीय साहित्य परिषद और साहित्य सरिता हिन्दी मंच द्वारा रविवार, 8 सितम्बर, 2024 को नासिक के रूंगटा हाईस्कूल के सभागार में किया गया। डॉ. दुबे ने कहा कि युवा साहित्यकारों का मनोबल बढ़ाने और राष्ट्रीय साहित्य की रचना हेतु प्रेरित करने की दिशा में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी हमेशा अग्रणी रहती आई है। उन्होंने कहा कि युवा साहित्यकार समाज के वर्तमान से सीधे प्रभावित होते हैं, इसलिए उनकी सृजनशीलता को गति और दिशा दोनों प्रदान करने की  ज़रूरत होती है। उन्होंने बताया कि मेधावी युवा रचनाकारों की कृतियों के प्रकाशन में आर्थिक सहायता देकर, प्रकाशित पुस्तकों को पुरस्कृत करके और अच्छे साहित्यकारों का सम्मान करके अकादमी उच्च कोटि के साहित्य को समृद्ध करने का कार्य निरंतर कर रही है। कवि सम्मेलन में साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य डॉ. दिनेश प्रताप सिंह और डॉ. प्रमोद शुक्ल भी उपस्थित थे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री ऋषि कुमार मिश्र ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि कविता केवल मनोरंजन के लिए नहीं होती, अपितु यह समाज की अनेक मान्यताओं का भंजन भी करती है। उन्होंने कहा कि कवि लोकदृष्टा होते हैं और लोकजीवन को सही दिशा दिखाते हैं। उन्होंने अपने नवगीत भी प्रस्तुत किये।

सम्मेलन में आगरा के राजकुमार रंजन, धौलपुर की रज़िया बेगम, मुंबई के सत्यदेव विजय, अकोला के डॉ. प्रमोद शुक्ल, नागपुर की ज्योति गजभिये, नासिक के भरत सिंह, सुनीता माहेश्वरी, रोचना भारती, रविन्द्र शिवदे, सीबी सिंह, सुधा झालानी और सुबोध मिश्र ने अपनी विविध कविताऍं प्रस्तुत कीं। सम्मेलन के अवसर पर महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा नासिक के वरिष्ठ साहित्यकारों चंद्रिका प्रसाद मिश्र, विद्या चिटको, रोचना भारती, सुधा झालानी और सुनीता माहेश्वरी को उल्लेखनीय साहित्य सेवा हेतु अकादमी के कार्याध्यक्ष के हाथों सम्मानित किया गया। वरिष्ठ कवयित्री पूर्णिमा ढिल्लन के कविता संग्रह का लोकार्पण भी किया गया। सम्मेलन के संयोजक डॉ. सी.पी. मिश्र ने अतिथियों का स्वागत  तुलसी की माला, अंगवस्त्रम, श्रीफल और तुलसीदास की विनय पत्रिका के साथ किया। सम्मेलन में नासिक, नासिकरोड, देवलाली, निफाड़, मनमाड और आसपास के दो सौ से अधिक साहित्य प्रेमी और काव्य रसिक उपस्थित थे। कवि सम्मेलन का मंच संचालन संजय द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ महाराष्ट्र राज्य गीत, दीप प्रज्ज्वलन और अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संकल्पना गीत के साथ हुआ, जबकि समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।